श्री पंचायती बड़ा अखाड़ा उदासीन में बड़े ही धूमधाम और हर्षौल्लास के साथ मनाया गया जन्माष्टमी का पावन पर्व

कमल शर्मा (हरिहर समाचार)

हरिद्वार, कनखल स्थित प्राचीन श्री पंचायती बड़ा अखाड़ा उदासीन में गत वर्षों की भांति इस वर्ष भी बड़े ही धूमधाम और हर्षौल्लास के साथ मनाया गया जन्माष्टमी का पावन पर्व l इस अवसर पर अखाड़े में विधिवत पूजा अर्चना की गई। पूजा अर्चना स्वामी हरी चेतनानंद जी महाराज, एडीएम पिंचा राम चौहान, महंत दामोदर शरण दास जी महाराज, महंत प्रेम दास जी महाराज श्री पंचायती अखाड़ा महतौली, एवं वरिष्ठ संतो की गरिमामई उपस्थिति में विधिवत रूप से संपन्न हुई l इस अवसर पर संतों को चादर एवं फूल माला भेंट की गईl

इस अवसर पर बोलते हुए स्वामी श्री हरि चेतनानंद महाराज जी ने कहा कि कृष्ण जन्माष्टमी 2024 का पावन पर्व भगवान कृष्ण के 5251वें जन्मदिन का उत्सव है। यह त्योहार हमें उनकी शिक्षाओं और उनके मूल्यों की याद दिलाता है। जब लोग हर्षोल्लास और भक्ति के साथ उनका सम्मान करने के लिए एकत्रित होते हैं, तो यह उनकी शिक्षाओं और हमारे जीवन में अच्छाई के महत्व पर चिंतन करने का एक अवसर होता है।इस अवसर पर बोलते हुए मुख्य अतिथि एडीएम पिंचा राम चौहान ने कहा कि जन्माष्टमी पर भगवान श्रीकृष्ण के बाल स्वरूप की विशेष पूजा-अर्चना की जाती है. .श्रीकृष्ण केवल भगवान ही नहीं, बल्कि सम्पूर्ण जीवन दर्शन का प्रतीक हैl

इस शुभ अवसर पर बोलते हुए महंत प्रेम दास जी महाराज ने कहा कि जन्माष्टमी पर्व भगवान श्री कृष्ण के जन्मदिन के रूप में मनाया जाता है, जो रक्षाबंधन के बाद भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है भगवान श्री कृष्ण के जन्मोत्सव का दिन बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है। ।श्री कृष्ण जन्माष्टमी के दिन मंदिरों को खासतौर पर सजाया जाता है। जन्माष्टमी पर पूरे दिन व्रत का विधान है। जन्माष्टमी पर सभी 12 बजे तक व्रत रखते हैं। इस दिन मंदिरों में झांकियां सजाई जाती हैं और भगवान श्रीकृष्ण को झूला झुलाया जाता है और रासलीला का आयोजन होता है।

जन्माष्टमी के पावन पर्व पर बोलते हुए श्री महर्षि ब्रह्महरि उदासीन आश्रम के परमाध्यक्ष महंत दामोदर शरण दास जी महाराज ने कहा कि जन्माष्टमी भगवान विष्णु के आठवें अवतार, भगवान कृष्ण के जन्म का प्रतीक है। यह अधर्म पर धर्म की विजय का प्रतीक है। श्री पंचायती बड़ा अखाड़ा उदासीन के कोठारी श्री राघवेंद्र दास जी महाराज ने कहा कि भक्त इस दिन कृष्ण के जीवन, शिक्षाओं और दिव्य लीलाओं का सम्मान करने के लिए मनाते हैं।

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