कमल शर्मा
बुवानीवाला ने लगाया पौधारोपण के नाम पर करोड़ों रूपए के घोटालों का आरोप
भिवानी, 24 जुलाई। हरियाणा प्रदेश कांग्रेस उद्योग सैल के चेयरमैन अशोक बुवानीवाला ने शासन और प्रशासन पर प्रदेश में हरियाली बढ़ाने के नाम पर प्रत्येक वर्ष बड़ें घोटालों को अंजाम दिए जाने का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि प्रदेश में पौधारोपण पर करोड़ों की राशि खर्च करने के बाद भी हरियाली सिकुड़ती जा रही है। जिसके पीछें वन विभाग की लापरवाही और बड़ें घोटालों की साजिश नजर आ रही है। उन्होंने कहा कि हरियाणा में 2020 से लेकर 2025 तक 970 करोड़ रूपए खर्च कर 4.19 करोड़ पौधे लगाए गए है। उसके बावजूद प्रदेश में हरियाली का दायरा मात्र 10.72 वर्ग कि.मी. बढ़ा है। उन्होंने कहा कि पड़ोसी राज्य राजस्थान में हरियाणा से 6 गुना कम राशि खर्च की गई और वहां हरियाणा से 39 गुना ज्यादा हरियाली बढ़ है। बुवानीवाला ने 2020 के दौरान पलवल में सामने आए घोटाले का जिक्र करते हुए कहा कि साल 2020 के दौरान पलवल जिले के अंदर पौधारोपण के लिए 1.5 करोड़ रूपए का बजट आवंटित किया गया जिसके तहत 10 लाख पौधे लगाने का दावा किया गया था, लेकिन वहां 60 प्रतिशत पौधे सूख गए या कभी लगाए ही नहीं गए जिसकी बाद में मीडिय़ा के माध्यम से रिपोर्ट आई थी कि फर्जी बिलों के माध्यम से इस अभियान में घोटाले को अंजाम दिया गया था। उन्होंने कहा कि आज जब पर्यावरण संरक्षण की दिशा में गंभीर कदम उठाने की जरूरत है, तब शासन और प्रशासन ने प्रदेश में पौधारोपण जैसी पवित्र और जरूरी मुहिम को भ्रष्टाचार और घोटाले का जरिया बना दिया गया है। उन्होंने कहा कि इस पूरे मामले की जांच करवाई जाएं तो साल-दर-साल जिलास्तर पर चलाए गए पौधारोपण अभियानों में बड़े पैमाने पर वित्तीय अनियमितताएं, आंकड़ों में हेराफेरी और कागजी पौधारोपण के मामले सामने आ सकते हैं। यह घोटाला केवल आर्थिक नहीं, बल्कि पर्यावरण, पारदर्शिता और जनहित से सीधा खिलवाड़ है। बुवानीवाला ने कहा कि जिन स्थानों पर लाखों पौधे लगाए जाने का दावा किया गया है, वहां या तो पौधे लगे ही नहीं, या फिर गिनती भर के पौधे लगाए गए और वे भी रख-रखाव न होने के कारण कुछ ही दिनों में सूख गए। जबकि सरकारी रिकार्ड में संबंधित विभागों ने उन्हें सफलतापूर्वक रोपित और विकसित दिखाया है। इस हरियाली के खेल में नर्सरियों से खरीद, पौधों की संख्या, परिवहन, मजदूरी और देखरेख जैसे खर्चों में जमकर घोटाले हुए हैं। प्रदेश सरकार और वन विभाग ने पौधारोपण अभियान के नाम पर पारदर्शिता को पूरी तरह दरकिनार कर दिया है न पौधों की सही गिनती है, न उनके रख-रखाव की निगरानी, न ही किसी स्तर पर जवाबदेही तय की गई है। पेड़ लगने की बजाय सिर्फ बजट खर्च हो गया और धरती पहले से ज्यादा सूखती जा रही है। बुवानीवाला ने मांग करते हुए कहा कि इस मामले की उच्च स्तरीय जांच की जानी चाहिए और घोटालों के प्रयाय बन चुके हरियाली के दुश्मनों पर सख्त कार्यवाही करनी चाहिए।