दिव्य श्रीमद् भागवत कथा के चौथे दिन भगवान श्री कृष्ण के जन्म का बहुत ही सुंदर चित्रण

कमल शर्मा

हरिद्वार भूपतवाला स्थित तुलसी मानस मंदिर में मंगुकिया परिवार के सभी पूर्वजों के उद्धार के लिए दिव्य श्रीमद् भागवत कथा के चौथे दिन भगवान श्री कृष्ण के जन्म का बहुत ही सुंदर चित्रण प्रस्तुत किया गया इस अवसर पर बोलते हुए कथा व्यास श्री भोलानाथ शास्त्री ने बताया कि भगवान श्रीकृष्ण ने अपने भक्तों का उद्धार व पृथ्वी को दैत्य शक्तियों से मुक्त कराने के लिए अवतार लिया था। उन्होंने कहा कि जब-जब पृथ्वी पर धर्म की हानि होती है, तब-तब भगवान धरती पर अवतरित होते हैं।

कथा प्रसंग सुनाते हुए कथा व्यास ने बताया कि जब अत्याचारी कंस के पापों से धरती डोलने लगी, तो भगवान कृष्ण को अवतरित होना पड़ा।सात संतानों के बाद जब देवकी गर्भवती हुई, तो उसे अपनी इस संतान की मृत्यु का भय सता रहा था। भगवान की लीला वे स्वयं ही समझ सकते हैं। भगवान कृष्ण के जन्म लेते ही जेल के सभी बंधन टूट गए और भगवान श्रीकृष्ण गोकुल पहुंच गए।भगवान श्रीकृष्ण गोकुल में नित्य ही माखन चोरी लीला करते हैं। मां यशोदा के बार-बार समझाने पर भी श्रीकृष्ण नहीं मानते हैं तो मां यशोदा ने भगवान को रस्सी से बांधना चाहा पर भगवान को कौन बांध सकता है, लेकिन भगवान मां की दयनीय दशा को देखते हुए स्वयं बंध जाते हैं।इसलिए भगवान को न धन, पद व प्रतिष्ठा से नहीं बांध सकता। भगवान तो प्रेम से बंध जाते हैं समेत बड़ी संख्या में श्रीमद् भागवत कथा प्रेमियों ने भगवान वामन की कथा सुनी।

इस अवसर पर बोलते हुए महादेव जी ने कहा कि कथा का सार बुराई की इच्छा से भरे कष्टमय जीवन में खो गया है! परमात्मा का गुण यह है कि पृथ्वी का स्वर्ण युग पृथ्वी के स्वर्ण युग के समान कीl इस अवसर पर श्री खोडियार, श्री अन्नपूर्णा, श्री उमिया, श्री ब्रह्माणी, आदि उपस्थित रहे l

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