हरिद्वार, 8 सितंबर कथा भक्तमाल की,के दूसरे दिन श्री श्री सुधा दीदी ने भक्तों को प्रभु भक्तों की कथा के रस से आनंदित किया l अपने श्री मुख से वर्णन करते हुए दीदी ने कहा कि भक्तमाल’ में वर्णित सभी भक्त कवि नहीं हैं, किंतु भक्तकवियों की संख्या कम नहीं हैं ।
चारों युगों के भक्तों की श्रृंखला माला ही भक्तमाल है । श्रीभक्तमाल ग्रन्थ के रचियता श्री नाभादास जी महाराज श्याम प्रभु के अनन्य भक्त थे। भक्तमाल कथा में भगवान् के प्रति भक्तों का समर्पण और उनकी दिव्य भक्ति का दर्शन हैं । भक्ति भक्त भगवन्त गुरु चतुर नाम बपु एक ।संपूर्ण ‘भक्तमाल’ छप्पय छंद में निबद्ध है । छप्पय एक छंद है जो छह पंक्तियों का गेय पद होता है । इसमें 316 छप्पयों में 200 भक्तों के चरित वर्णित हैं ।