हरिद्वार भीमगोड़ा स्थित श्री गंगा भक्ति आश्रम के 43 वे वार्षिक अधिवेशन के दौरान निरंतर आश्रम में चल रहे धर्म-कर्म के कार्य श्री राम चरित्र मानस पाठ तथा अन्य पावन कार्यों के अवसर पर बोलते हुए आश्रम के श्री महंत कमलेशानंद सरस्वती जी महाराज ने कहा भक्ति मनुष्य के मन के विकारों का तर्पण करती है धर्म कर्म रूपी महायज्ञ मनुष्य के जीवन को भवसागर की और ले जाता है धर्म कर्म मनुष्य मनुष्य के इस लोक में तो काम आते ही हैं उसका परलोक भी सुधार देते हैं गुरु मनुष्य को अपने तपोबल से अर्जित किए गए ज्ञान को देखकर उसका जीवन धन्य कर देते हैं जो ज्ञान का दाता है इस पृथ्वी लोक पर उससे बड़ा कोई दानी नहीं धर्म कर्म तो मनुष्य के जीवन का उदय करने का माध्यम है किंतु ज्ञान के बिना यह मनुष्य जीवन पशु सामान है और ज्ञान हमें गुरुजनों के माध्यम से प्राप्त होता है इसलिए गुरु से श्रेष्ठ कोई और हो ही नहीं सकता क्योंकि ईश्वर की ओर जाने वाला मार्ग गुरु चरणों से होकर जाता है अगर अपना कल्याण चाहते हो गुरुजनों द्वारा बताए गए मार्ग पर चलो वही मार्ग आपको सत्य की राह दिखाएगा और आपका लोक और परलोक दोनों सुधार देगा