गंगास्नान करने मात्र से मनुष्य का जीवन धन्य हो जाता है तथा जन्मो जन्म के पाप नष्ट हो जाते हैं-परम पूज्य स्वामी केशवानंद महाराज

स्वामी परमानंद जी महाराज की तृतीय पवन पुण्यतिथि के अवसर पर श्रद्धांजलि सभा आयोजित हरिद्वार खड़खड़ी रामगढ़ नई बस्ती स्थित श्री गरीब दास परमानंद आश्रम में श्रीमद् भागवत सप्ताह ज्ञान यज्ञ कथा के समापन के अवसर पर बोलते हुए महंत कथा व्यास परम पूज्य स्वामी केशवानंद महाराज ने कहा इस पृथ्वी लोक पर दो प्रकार की गंगा हैं एक तो मां भागीरथी गंगा है जिनमें स्नान करने मात्र से मनुष्य का जीवन धन्य हो जाता है तथा जन्मो जन्म के पाप नष्ट हो जाते हैं दूसरी गंगा संत महापुरुषों के श्री मुख से बहाने वाले ज्ञान की गंगा है जो मनुष्य का तन मन पवन कर देता है ज्ञान मनुष्य के जीवन को धन्य कर देता है श्रीमद् भागवत कथा इस संसार की एक अति पावन कथा है जो मनुष्य का लोक और परलोक दोनों सुधार देती है ज्ञानी और अज्ञानी एक जैसा कर्म करता है किंतु ज्ञान मनुष्य की ज्ञान इंद्रियों को खोल देता है और वही कर्म ज्ञानी व्यक्ति को उन्नति की हो ले जाता है और अज्ञानी व्यक्ति को सिर्फ भरण पोषण तक जीवन यापन तक सीमित कर देता है ज्ञान की शक्ति मनुष्य को पृथ्वी से चांद तक पहुंचा रही है इस प्रकार संत ऋषि मुनि महापुरुषों द्वारा दिए गए ज्ञान के माध्यम से भक्तजन कल्याण के साथ-साथ उन्नति की ओर भी अग्रसर होते हैं हमारे धर्म ग्रंथ तथा उनसे प्राप्त होने वाला ज्ञान हम लोगों के लिए अति कल्याणकारी होता है ज्ञान के बिना मनुष्य का जीवन अंधकार मय होता है और ज्ञान का प्रकाश अंधकार में सूर्य का उदय होना होता है एक प्रचंड सूर्य जिस प्रकार गहरे अंधकार को दूर कर देता है इसी प्रकार संत ऋषि मुनि महापुरुषों के श्री मुख से मिलने वाला ज्ञान मनुष्य के ज्ञान चक्षु खोल देता है और उसका भाग्य उदय कर देता है गुरु मिलते हैं ईश्वर से गुरु ही देते ज्ञान इस भवसागर की नैया के गुरु ही तारणहार इस अवसर पर महंत रवि देव वेदांताचार्य सचिव महंत गोविंद दास महाराज स्वामी परमानंद महाराज स्वामी हनुमान दास महाराज स्वामी रामचरण दास महाराज स्वामी कमल मुनि महाराज कन्हैया दास महाराज महामंडलेश्वर अनंततानंद महाराज तीरथ सिंह महाराज स्वामी चेतनानंद महाराज सहित भारी संख्या में संत महंत भक्तगण उपस्थित थे उनके श्री मुख से सुने गए वचनों से भक्तजनों ने अपने जीवन को धन्य तथा कृतार्थ किया तथा आयोजित भंडारे में सभी ने भोजन प्रसाद ग्रहण किया तथा सभी संत महापुरुषों ने स्वामी परमानंद जी महाराज की तृतीय पावन पुण्यतिथि पर उन्हें अपने श्रद्धा सुमन अर्पित किए

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