कमल शर्मा हरिद्वार 2 मार्च 2024 सुदर्शन आश्रम अखाड़े के परमा ध्यक्ष श्री महंत रघुबीर दास जी महाराज ने कहा भगवान राम की भक्ति और मन में आस्था का भाव मनुष्य की अंतरात्मा पर निर्भर है क्योंकि भक्ति हर किसी के भाग्य में नहीं होती धर्म कर्म राम नाम की भक्ति मनुष्य को जीवन में बड़े ही भाग्य से प्राप्त होती है जिसके अंतर मन में भगवान श्री राम माता जानकी का वास हो जिसके हृदय में करुणा भरी हो जो निंदा पूर्ण कार्यों तथा अपयश से दूर हो मन में दूसरों के प्रति सम्मान का भाव जिसके मन में करुणा के साथ-साथ दया की भी अपार निधि बस्ती हो ऐसे महा मनुष्यों को यथा समय भगवान राम माता जानकी की भक्ति प्राप्त होती है अन्यथा मनुष्य ताउम्र यही सोचता रहता है की अभी तो बहुत समय पड़ा है आगे चलकर राम का नाम ले लेंगे आगे चलते-चलते एक दिन वह जीवन के अंतिम छोर पर पहुंच जाता है यानी वृद्धावस्था उस समय मनुष्य का खुद को संभाल पाना तो संभव हो नहीं पाता वह दूसरे के ऊपर निर्भर हो जाता है तो वह भक्ति क्या खाक करेगा इसलिए अगर अपना कल्याण चाहते हो तो यथा समय जब भी समय मिले भगवान राम की भक्ति करो यही आपको कल्याण की ओर ले जाएगी यही आपको भवसागर पार करवायेगी
भक्ति और भाव मनुष्य की अंतरात्मा पर निर्भर श्री महंत रघुबीर दास जी महाराज
