इस बार की कांवड़ यात्रा कांवड़िए के भीतर शिव तत्व को जागृत करें: श्री संजीवन नाथ जी महाराज

हरिद्वार,गुरु श्री गोरखनाथ अलख अखाड़ा रजि0 के अध्यक्ष श्री संजीवन नाथ जी महाराज ने अपने भक्तों को बताया कि बहुत से लोग सोचते होगे कि हम कांवड मेंले में जायें और कांवड लेकर आयेंगे लेकिन अवसर मां गंगा व भगवान महादेव की कृपा से कुछ ही लोगों को प्राप्त हो पाता है। जिन पर मां गंगा की और भगवान शिव की कृपा होती है, उन्हीं को यह अवसर मिलता है।
उन्होंने कहा कि भोले बाबा अपने नाम के अनुकुल ही बड़े भोले है। वे जल अर्पित करने मात्र से ही अपने सभी भक्तों की मनोकामनायें पूरी कर देते है, और श्रावण मास में तो भगवान की भक्ति का प्रभाव अत्यधिक बड़ जाता है। सैकड़ा-हजारों किलोमीटर से दूर-दूर से चलकर शिव भक्त कांवड़िये धर्म नगरी हरिद्वार से गंगा का जल लेकर जाते है और जलाभिषेक करते है। उन्होंने कहा कि भोले बाबा की भक्ति में कितनी शक्ति है, इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि बिना थके, बिना रूके, बिना विश्राम किये बम-बम भोले के जयकारे लगाते हुए अपने गंतव्य की ओर निरन्तर बढ़ते जाते है, निरन्तर चलते जाते है। उन्होंने कहा कि कांवड यात्रा न केवल श्रद्धा एवं आस्था का प्रतीक है बल्कि यह हमें सेवा में पुण्य का भागीदार बनने का भी अवसर देती है। इस वर्ष भी अभी तक कांवड यात्रा पर एक करोड़ से अधिक शिव भक्त कांवड़ियों ने अपने-अपने गंतव्य को प्रस्थान कर लिया है।

कांवड मेंला केवल एक धार्मिक आयोजन ही नही हमारी आस्था श्रृद्धा और सनातन संस्कृति का प्रतीक है। हमारा सौभाग्य है कि हर साल करोंड़ों-करोंडों शिव भक्तों का सेवा करने का सुअवसर प्राप्त होता है। जहां भक्ति है वहां मर्यादा की भी आवश्यकता है, जहां आस्था है वहां अनुशासन भी जरूरी है, और जहां शिव है वहां शान्ति भी स्वाभाविक है। लेकिन हाल ही में कुछ घटनाएं भी सामने आई है, जहां कुछ स्थानों पर कांवड यात्रा के दौरान उपद्रव और अनुशासनहीनता भी देखने को मिल रही है। उन्होंने कहा कि शिव शक्ति कोई प्रदर्शन नहीं बल्कि एक आन्तरिक साधना है। उन्होंने कहा कि भगवान महादेव को जलाभिषेक करने, जल अर्पित करने एवं उनकी अराधना करने की पवित्र यात्रा एवं अनुष्ठान है। उन्होंने कहा कि महादेव को प्रसन्न करने के लिए, अपनी मनोकामना को पूर्ण करने के लिए, अपना शोधन करने लिए इस यात्रा को करते हैं। उन्होंने कहा कि भगवान शिव ने सृष्टि व दूसरों की रक्षा के लिए हलाहल पी लिया, इसलिए वह नीलकण्ठ हो गए। उन्होंने अपील करते हुए कहा कि आपकी यात्रा के कारण किसी को भी पेरशानी न हो, यात्रा में किसी भी प्रकार का विघ्न एवं बाधा न हो, कावंड़ यात्रा के नियमों का पालन करें। उन्होंने गर्व करते हुए कहा कि यात्रा नियमों का पालन करते हुए लाख श्रद्धालु यात्रा कर रहे, ऐंसे श्रद्धालुओं को नमन किया। उन्होंने कहा कि कुछ व्यक्ति कावड़ यात्रा के उद्देश्यों को भुलाकर अशान्ति, एवं उपद्रव की राह पर चलने का प्रयास कर रहे हैं, उनसे भी विनम्र अपील की कि वह सच्चे शिव भक्त की भांति विनम्रता पूर्ण आचरण करें, क्योंकि जब भक्त विनम्र और सहनशील होता है तब आत्मिक शान्ति प्राप्त होती है। उन्होंने भगवान आशुतोष से प्रार्थना की कि इस बार की कांवड़ यात्रा आपके भीतर शिव तत्व को जागृत करें, l
उन्होंने कहा कि देवभूमि उत्तराखण्ड की यह पुण्य भूमि केवल आप सभी का स्वागत ही नहीं करती है, बल्कि आपकी सेवा को अपना शौभाग्य मानती है। इसलिए संरकार, शासन एवं प्रशासन, स्वयं सेवी संगठन, डॉक्टर्स, सफाई कर्मी, व्यापार मण्डल, श्री गंगा सभा, जनप्रतिनिधिगण, सन्तगण सभी मिलकर कांवड़ यात्रा का संयोजन करते हैं।

उन्होंने कहा कि सनानत की आड़ में विधर्मियों द्वारा छद्म वेष बनाकर भोले भाले लोगों को ठगने के खिलाफ भी ऑपरेशन कालनेमि चला रहे हैं। इस ऑपरेशन के माध्यम से छद्म वेशधारियों को पकड़ने का काम कर रहे है, जोकि सनातन धर्म को नुकसान पहुॅचाने एवं हिन्दु धर्म को बदनाम करने का काम कर रहे हैं

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