कमल शर्मा (हरिहर समाचार )
हरिद्वार,श्यामपुर कांगड़ी गाजवाला आर्य नगर स्थित कार्ष्णि भक्ति धाम गुरुकुलम में चल रही श्रीमद् भागवत कथा महापुराण ज्ञान यज्ञ के समापन के अवसर पर कथा व्यास प्रचंड विद्वान परम पूज्य अनंत विभूषित ज्ञान मूर्ति स्वामी श्री समोधानन्द महाराज ने कहा जो भगवान का हो जाता है भगवान उसके हो जाते हैं मेरे कन्हैया जी बड़े ही कृपालु और दयालु है जो उन्हें हृदय में बस लेता है भगवान उसे अपने हृदय में बसा लेते हैं वे ज्ञान के सागर है वे दया के सागर है वह बड़े कृपालु है वह बड़े दयालु हैं वे संपूर्ण सृष्टि के पालन करता है कण कण में है राम कण-कण में है श्याम तुझ में राम मुझ में राम इस संपूर्ण सकल संसार में समाये हैं भगवान श्री राम जिस प्रकार भक्त कभी अपने भगवान से दूर नहीं होते सदैव उनके हृदय में विद्यमान रहते हैं इस प्रकार भगवान भी भक्त के हृदय में वास करते हैं किंतु यह मनुष्य है जो ईश्वर को इधर-उधर ढूंढता फिरता है l

कभी अपने हृदय में झांक कर नहीं देखता जब उसे इस बात का बोध हो जाता है तो पल भर में भगवान किसी न किसी रूप में उसकी सहायता के लियें उसके सामने आ खड़े होते हैं पर यह अज्ञानी मानव तब भी ईश्वर का बोध नहीं कर पाता जो सहायता करने जो कष्ट हरने किसी के रूप में आये थे उन्हें यह सांसारिक नेत्र देख नहीं पाये उनके आने का अहसास नहीं कर पाये इधर-उधर कहां ढूंढते हो सतगुरु देव के रूप में ज्ञान मूर्ति ज्ञान की वर्षा करवाने वाले सतगुरु देव स्वामी अमृतानन्द जी महाराज साक्षात देव मूर्ति है ज्ञान का सागर है उनकी कृपा से श्रीमद् भागवत महापुराण जैसे ज्ञान की वर्षा एक सप्ताह तक इस क्षेत्र में हुई है जो क्षेत्र के एक-एक व्यक्ति के लिए वरदान तथा कल्याणकारी सिद्ध होगी आने वाले समय में आपका क्षेत्र विकास की बुलंदियों को छूवेगा विकास के नये आयाम स्थापित होंगे हर व्यक्ति के भाग्य का उदय होगा ऐसे ज्ञान मूर्ति संत गुरु मूर्ति संतों के दर्शन बिरला ही हो पाते हैं आपके क्षेत्र में सारस्वत ज्ञान कि वर्ष हेतु उन्होंने गुरुकुलम की स्थापना की है एक-एक व्यक्ति साक्षर होगा शिक्षित होगा विद्वान बनेगा और क्षेत्र की काया पलट कर रख देगा घर घर में सुख शांति समृद्धि बरसेगी दीपक लेकर ढूंढने पर भी ऐसे परम त्यागी तपस्वी ज्ञान मूर्ति संत नहीं मिल पाते इस अवसर पर कार्ष्णि ऋषि स्वामी अमितानन्द महाराज ने सुंदर भजन मोहे लागी लगन गुरु चरणन की चरण बिना मुझे कुछ नहीं भाये सुना कर संपूर्ण वातावरण को भक्ति मय कर दिया स्वामी अमृतानंद महाराज ने कहा जिस ज्ञान श्रीमद् भागवत महापुराण का का श्रवण आपने एक सप्ताह तक किया है वह दिव्य ज्ञान आपके जीवन में सुख शांति समृद्धि के रूप में फलीभूत होगा

सतगुरु मेरे बड़े महान सतगुरु बलहारी मेरे सतगुरु देव गुरु भगवान के साक्षात चरण कमल इस पृथ्वी पर पड़े हैं आपके क्षेत्र में पड़े हैं आपके क्षेत्र का गुरु भगवान की कृपा से उद्धार और काया पलट होने वाला है साथ ही गुरु चरणों की पावन रज से हमने यहां गुरुकुलम की स्थापना की है यहां ज्ञान की गंगा बहेगी यहां कदम कदम पर धर्म की गाथा गाने वाले संत महापुरुषों के डेरे बनेंगे और नित्य होगा धर्म सनातन और संस्कृति का शंखनाद कुछ संत महापुरुष यहां अपने स्थान स्थापित कर समाज तथा देश को मार्गदर्शित करते चले आ रहे हैं और कुछ और संत महापुरुष यहां अपने स्थान बनायेगे और आपके क्षेत्र में ज्ञान की गंगा बहायेंगे इस अवसर पर बोलते हुए कथा व्यास स्वामी अकामानंद जी महाराज ने कहा उनके माध्यम से प्रतिदिन 11 से 12 बजे अगली गली में संत महापुरुषों हेतु अन्न क्षेत्र चलाया जायेगा इस अवसर पर पूर्व कैबिनेट मंत्री स्वामी यतीश्वरानंद महाराज ने कहा क्षेत्र में गुरु कुल की स्थापना क्षेत्र की उन्नति और विकास में मील का पत्थर साबित होगा क्षेत्र की काया पलट हो जायेगी क्षेत्र विकास की बुलंदियों को छूवेगा l

इस अवसर पर महंत हरिदास महाराज महंत कृष्ण स्वरूप महाराज महंत कमलेश्वरानंद महाराज महंत दुर्गादास महाराज महंत विष्णु दास महाराज महंत सूरज दास महाराज महंत हरिहरानंद महाराज महंत मोहन सिंह महाराज महंत ज्ञानानंद महाराज महंत सत्यवृत्तानंद महाराज महंत धीरेंद्र पुरी महाराज महंत दिनेश दास महाराज महंत सूरज दास महाराज महंत प्रेमदास महाराज महंत कैलाशानंद महाराज महंत वीरेंद्र स्वरूप महाराज महंत गुरुमाल सिंह महाराज महंत जगजीत सिंह महाराज महंत मैं स्वामी रविंदर दास महाराज महंत हितेश दास महाराज महंत साध्वी तृप्ता सरस्वती महंत बिहारी शरण महाराज महंत गोविंद दास महाराज महंत प्रहलाद दास महाराज महंत प्रमोद दास महाराज महंत कन्हैया दास महाराज महंत सीताराम दास महाराज कोतवाल कमल मुनि महाराज देहरादून बाबा रमेशानंद सहित भारी संख्या में संत महापुरुष तथा हजारों की संख्या में भक्तगण उपस्थित थे सभी ने आयोजित विशाल भंडारे में भोजन प्रसाद ग्रहण किया तथा संत महापुरुषों के श्री मुख से बहने वाली ज्ञान की गंगा में गोते लगाकर अपने जीवन को धन्य तथा कृतार्थ किया l
